बच्चे


एक बच्चे के लिए जीवन क्या, एक परियों की कहानी
चाँद-सितारे, खिलौने ढेर सारे और एक बूढी नानी
कल्पना के आकाश पर सपनों के ताने बाने बुनता
उन सपनों में ख़ुद को खोजता कुछ खुशियाँ चुनता
बच्चे ने खामोशी ओढ़ ली, क्योंकि बचपन मर गया
उसे उपभोक्तावाद का जहर डस गया
बचपन की मुस्कानों को तौला चंद इंसानों ने
प्रतिस्पर्धा के बाजारों में उसे उतारा इंसानों ने
कभी धूल में भिगा होता बचपन खेल के मैदानों में
यंहां पसीना कहाँ बहेगा शिक्षा के दुकानों में

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